अकाल मृत्यु के शिकार हुए विक्की वाल्मीकि की मां सरोज की मौत
न्याय की गुहार लगाते थक चुकी सरोज नहीं पा सकी न्याय मरते दम तक ,अब करेगा उपर वाला न्याय

औरंगाबाद (बुलंदशहर)नगर पंचायत कर्मचारियों व सर्वेसर्वाओं की लापरवाही के चलते लगभग एक वर्ष पूर्व अकाल मृत्यु के शिकार हुए विक्की वाल्मीकि की मां सरोज वाल्मीकि भी न्याय की गुहार लगाते लगाते चल बसी। अभागी सरोज मरते दम तक न्याय नहीं पा सकी। जबकि उसने थाने से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी तक से न्याय की गुहार लगाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी थी।
विदित हो कि सरोज वाल्मीकि के इकलौते युवा बेटे विक्की वाल्मीकि उम्र लगभग 28 वर्ष को नगर पंचायत के कर्मचारियों ने सर्वेसर्वाओ के निर्देश पर
17 जून 24 को ईद की कुर्बानी के बाद पशु अवशेष हटाने के काम पर लगा दिया था जबकि विक्की की तबीयत ठीक नहीं थी और नगर पंचायत में उसकी कोई तैनाती नहीं थी। विक्की की मां सरोज वाल्मीकि नगर पंचायत में सफाई कर्मी के रूप में कार्यरत थी। घटना के समय सरोज अपनी बीमारी के चलते दिल्ली अस्पताल में भर्ती थी। पशु अवशेष हटाने के दौरान विक्की की तबीयत बिगड़ी और लापरवाह कर्मचारियों ने उसे बिना किसी उपचार कराये उसके घर भेज दिया जहां रात्रि में उसकी मौत हो गई थी।
विक्की की दुखियारी मां सरोज ने औरंगाबाद थाने में नगर पंचायत के पांच लोगों को नामजद करते हुए एफ आई आर दर्ज कराई थी। पुलिस ने घटना के पांच दिन बाद तब एफ आई आर दर्ज की थी जब वाल्मीकि समाज के लोगों ने थाने का घेराव किया और सफाई कर्मचारियों ने सफाई व्यवस्था ठप्प कर हड़ताल शुरू कर दी थी।
इसे असरदार लोगों की सामर्थ्य कहें या फिर तमाम सिस्टम की अक्षमता अभागी दुखियारी मां को मरते दम तक न्याय नहीं मिल सका।
सरोज की बहिन संगीता ने बताया कि नगर पंचायत के एक सर्वेसर्वा सरोज के अंतिम संस्कार के लिए पांच हजार रुपए देने पहुंचे लेकिन हमने हाथ जोड़कर मना कर दिया। हमारा न्याय तो अब उपर वाला ही करेगा। समाज सेवी सैयद रसीद अहमद नक़वी ने अभागी दुखियारी मां सरोज की मौत पर शोक जताते हुए कहा कि कितना अफसोस है कि किसी गरीब महिला को भी तमाम सिस्टम से न्याय नहीं मिल सका। उपर वाला रहम करे।
रिपोर्टर राजेंद्र अग्रवाल