कोचिंग माफिया से कैसी मुरव्वत
राजेश बैरागी( वरिष्ठ पत्रकार)
क्या कुछ कोचिंग माफियाओं को पुलिस की मुठभेड़ व्यवस्था को सौंप देना चाहिए?हर राष्ट्रीय महत्व की परीक्षा में लग रही सेंध और निरंतर विफल हो रहे तंत्र के दृष्टिगत ऐसे लोगों के साथ क्या करना चाहिए जिससे लाखों नौजवानों के भविष्य को सुरक्षित किया जा सके?
नीट परीक्षा में धांधली की आग अभी धधक ही रही है कि यूजीसी नेट की परीक्षा धांधली की आशंका के चलते स्थगित कर दी गई है। विश्व गुरु बनने को आतुर महान भारत देश में किसी परीक्षा की शुचिता की गारंटी नहीं रह गई है। परीक्षाओं से पहले प्रश्नपत्र कुछ अभ्यर्थियों के हाथों में पहुंच जाना, परीक्षाओं में नकल,सोल्वर गैंग की मजबूत उपस्थिति और अटपटे परीक्षा परिणामों के चलते प्रत्येक अभ्यर्थी का विश्वास डिगा रहता है। खोजबीन के बाद एक तथ्य यह भी सामने आ रहा है कि परीक्षाओं की पवित्रता को खंडित करने में कोचिंग माफियाओं की बड़ी भूमिका है। ऐसे इक्का-दुक्का माफियाओं के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई से परीक्षाओं को सुरक्षित करना शायद ही संभव हो। प्रयागराज में विधायक राजू पाल हत्याकांड के गवाह की सरेशाम हत्या के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में कहा था,’ऐसे माफिया को मिट्टी में मिला देंगे’। क्या कोचिंग माफियाओं को मिट्टी में नहीं मिलाया जा सकता है? छात्रों और रोजगार के आकांक्षी युवाओं के भविष्य के सपनों को मिट्टी में मिला देने वाले माफियाओं के प्रति किसी भी प्रकार की सहानुभूति रखने की क्या आवश्यकता है? इस तंत्र को ध्वस्त किए बगैर तंत्र का बचना असंभव है।