ग्रेटर नोएडा

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राणा प्रताप सिंह एवं डीन प्रो. बंदना पाण्डेय को किया सारस्वत सम्मान से सम्मानित 

ग्रेटर नोएडा:गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा एवं भारतीय हिंदी प्राध्यापक परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन आज गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ। समापन समारोह में सारस्वत अतिथि के रूप में श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मोहन तथा मुख्य अतिथि के रूप में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय , नई दिल्ली के कुलसचिव प्रो. जितेंद्र श्रीवास्तव ने अपनी विशिष्ट उपस्थिति दर्ज कराई।

इससे पूर्व 14 नवंबर को आयोजित उद्घाटन समारोह में गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राणा प्रताप सिंह को शिक्षा एवं समाज के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान हेतु सारस्वत सम्मान से सम्मानित किया गया। प्रो. सिंह शैक्षणिक जगत की ख्यातिलब्ध हस्ती हैं और विश्व स्तरीय उच्च शोध एवं शिक्षण के लिए जाने जाते हैं। सामाजिक कार्यों में उनकी सक्रिय भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय है। यह सम्मान भारतीय हिंदी प्राध्यापक परिषद द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान प्रदान किया गया।

समापन सत्र के श्रीगणेश पर भारतीय हिंदी प्राध्यापक परिषद के महासचिव प्रो. संजीव कुमार दुबे ने परिषद और गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के उत्कृष्ट समन्वय के लिए धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि इस संगोष्ठी ने देश भर के हिंदी शिक्षकों और शोधार्थियों को एक साझा मंच प्रदान किया है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों, शिक्षकों एवं छात्रों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। परिषद के अध्यक्ष प्रो. विनोद मिश्रा ने भी सभी अतिथियों और शिक्षकों का अभिनंदन करते हुए संगोष्ठी की सफल रूपरेखा पर प्रकाश डाला।

सत्र को संबोधित करते हुए सारस्वत अतिथि प्रो. मोहन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में हिंदी की स्थिति और भविष्य पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि शिक्षा और प्रशासन में हिंदी के विस्तार को समय की आवश्यकता के रूप में स्वीकार करना होगा। उन्होंने इस तथ्य की ओर भी संकेत किया कि भाषा के अभाव और हीनता-बोध ने देश की स्वतंत्रता के संघर्ष को लंबा किया, इसलिए भारतीय भाषाओं के सम्मान और प्रयोग में वृद्धि अत्यंत आवश्यक है।

मुख्य अतिथि प्रो. जितेंद्र श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि हिंदी राष्ट्र की भाषा है, किसी एक प्रदेश तक सीमित नहीं। उन्होंने विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र से जुड़े विद्वानों और शोधार्थियों से आग्रह किया कि वे रिसर्च कार्य हिंदी भाषा में भी करें, जिससे ज्ञान अधिक व्यापक रूप से जन-जन तक पहुँच सके।

समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान संकाय की डीन प्रो. बंदना पाण्डेय ने सभी वक्ताओं और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह संगोष्ठी वास्तव में “लघु भारत” का स्वरूप थी, क्योंकि देश के लगभग प्रत्येक प्रदेश से प्रतिनिधियों ने इसमें भागीदारी की। प्रो. पाण्डेय ने हिंदी लिपि से जुड़ी कुछ चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि कठिनाई भाषा में कम, लिपि के स्तर पर अधिक दिखाई देती है, जिस पर सामूहिक रूप से कार्य करने की आवश्यकता है। इस अवसर पर शिक्षा एवं समाज के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट कार्य हेतु प्रो. बंदना पाण्डेय को भी सारस्वत सम्मान से सम्मानित किया गया।

समापन सत्र में देश भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों से आए शिक्षक एवं शोधार्थियों ने सक्रिय सहभागिता की। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान संकाय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्षों, समन्वयकों एवं संकाय सदस्यों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया।यह राष्ट्रीय संगोष्ठी हिंदी जगत को नई दिशा प्रदान करेगी तथा हिंदी भाषा को अधिक जनप्रिय, सुलभ और समकालीन संदर्भों में प्रासंगिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगी।

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