विचार

बांग्लादेश में तख्तापलट:पश्चिम बंगाल में लगाया जा सकता है राष्ट्रपति शासन!

राजेश बैरागी (स्वतंत्र पत्रकार व लेखक)
क्या बांग्लादेश में तख्तापलट का प्रभाव भारतीय राजनीति पर भी पड़ सकता है और क्या अब पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को बर्खास्त कर वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है?आज का दिन बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण रहा जब बहुमत की सरकार चला रहीं प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आंदोलनकारी छात्रों के लांग मार्च के आह्वान के साथ ढाका की और बढ़ने के बाद अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। इसके साथ ही उन्होंने अपनी बहन के साथ अपना देश भी छोड़ दिया। उनके यूरोप के किसी देश (संभवतः इंग्लैंड) में शरण लेने की संभावना है।शेख हसीना के इस प्रकार देश छोड़कर भागने से हर कोई स्तब्ध है। बांग्लादेश के नवीनतम घटनाक्रम से जो स्थिति उभर रही है उसमें वहां की सेना का देश की सत्ता में प्रभाव बढ़ने की पूरी संभावना है। सेना प्रमुख ने ही शेख हसीना के त्यागपत्र की पुष्टि की और नयी सरकार के गठन के संबंध में उन्होंने राष्ट्रपति से मुलाकात की। इसके साथ ही सेना प्रमुख ने एक सैनिक अड्डे पर वहां के राजनीतिक दलों के नेताओं से भी विचार विमर्श किया। बांग्लादेश के बदले घटनाक्रम का भारत पर क्या प्रभाव होगा? भारत और बांग्लादेश के व्यापारिक और मैत्री संबंधों में भारी गिरावट आ सकती है। बांग्लादेश का सत्ता प्रतिष्ठान चीन और पाकिस्तान के निकट जा सकता है। वहां की धरती का उपयोग भारत विरोधी आतंकी गतिविधियों के लिए हो सकता है। बांग्लादेश से वहां के नागरिकों का बहुतायत में पलायन हो सकता है जो भारत के लिए एक सिरदर्द साबित हो सकता है।हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बांग्लादेश से पलायन करने वाले लोगों का अपने यहां स्वागत करने की घोषणा की थी।आज उन्होंने बदले हालात में केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन करने की बात कही है। उनके इस बदले सुर से समझा जा सकता है कि बांग्लादेश के हालात के दृष्टिगत राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर केंद्र सरकार इस सीमांत राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का निर्णय ले सकती है। यह भाजपा नीत केंद्र सरकार के लिए एक अवसर भी है और उसकी राजनीतिक आवश्यकता भी है। हालांकि इस समय पश्चिम बंगाल को अस्थिर करना राजनीतिक दृष्टि से उचित नहीं है परंतु राजनीति में अवसर मिलने पर न चूकने का सिद्धांत चलता है। बांग्लादेश में भी यही सिद्धांत अमल में लाया गया है,

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