ग्रेटर नोएडा

हिंदी साहित्य ने स्वाधीनता संग्राम को शब्दों, विचारों और संघर्ष की लौ से जीवित रखा है -प्रोफेसर राणा प्रताप सिंह

ग्रेटर नोएडा:अवसर था लघु भारत के दर्शन करने का,अपने विचारों को व्यक्त करने साथ ही आत्मसात करने का उक्त अवसर का स्थल बना गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा विदित है कि गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय एवं भारतीय हिंदी प्राध्यापक परिषद के संयुक्त तत्वधान में आयोजित राष्ट्रीय हिंदी संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र का आयोजन किया गया।इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राणा प्रताप सिंह ने कहा कि हिंदी साहित्य ने स्वाधीनता संग्राम को शब्दों, विचारों और संघर्ष की लौ से जीवित रखा है।हिंदी साहित्य ने समाज को नई दिशा प्रदान किया।हिन्दी साहित्य के मूल संदर्भों का उल्लेख करते हुए हिन्दी साहित्य के महत्व पर प्रकाश डाला। यह संगोष्ठी दो दिनों के लिए आयोजित की जा रही है। इस संगोष्ठी में पूरे देशभर के विद्वानों ने सहभागिता किया।उक्त अवसर पर सभी विद्वानों का स्वागत करते हुए मानविकीय एवं सामाजिक विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर बंदना पाण्डेय ने कहा कि “स्वाधीनता आंदोलन और हिंदी साहित्य का संबंध भारतीय अस्मिता, सांस्कृतिक चेतना और रचनात्मक संघर्ष की लंबी यात्रा को समझने का द्वार खोलता है।

साथ ही साहित्य समाज को नई दिशा प्रदान करता है। प्रो. संजीव कुमार दुबे ने प्रासंगिक वक्तव्य में ‘भारतीय हिंदी प्राध्यापक परिषद’ के कार्यों और आगामी योजनाओं पर चर्चा करते हुए संगोष्ठी के विषय की प्रासंगिकता के स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि भारतीय साहित्य के रचनाकारों और लोक संस्कृति के कलाकारों ने स्वाधीनता संघर्ष को जनांदोलन का रूप दिया है।

भारतीय हिंदी प्राध्यापक परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर विनोद मिश्र ने कहा कि  हिंदी भाषा के इतर भी लोक साहित्य और अहिंदी भाषी क्षेत्रों के साहित्य के स्वाधीनता संग्राम में योगदान पर प्रकाश डाला। कथाकार तेजेंद्र शर्मा ने गुमनाम कवियों और सिनेमा के गीतकारों के स्वाधीनता आंदोलन में योगदान का उल्लेख किया।प्रो. नवीन चंद्र लोहनी ने क्षेत्रीय कवियों के योगदान और आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका पर प्रकाश डाला।उक्त आयोजन में उत्तराखंड ओपन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर नवीनचंद लोहनी को ,’सारस्वत सम्मान’ से सम्मानित किया गया।सत्र का संचालन डॉ. विभावरी एवं डॉ. रमिता गुरव ने किया। संगोष्ठी के दस समानांतर सत्रों का आयोजन किया गया। उक्त सत्रों में हिंदी कविता, कहानी, उपन्यास, कथेतर गद्य, पत्रकारिता, सिनेमा और भारतीय साहित्य में स्वाधीनता आंदोलन के विविध पहलुओं पर केंद्रित शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। संगोष्ठी में भारत के त्रिपुरा ,गोवा,तिरुपति,गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरला महाराष्ट्र ,बिहार,उत्तर प्रदेश, पूर्वोत्तर राज्यों ,दिल्ली,हरियाणा,पंजाब सहित पूरे देश भर हिंदी प्राध्यापक, शोधार्थी ने सहभागिता किया।इस आयोजन में गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा के शिक्षकों , शोधार्थीयों एवं विद्यार्थियोंने बढ़ चढ़ कर भागीदारी किया।यह आयोजन बौद्धिक जगत में मिल का पत्थर साबित होगा।

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