साहित्य हमें सदैव जागरूक बनाता है – प्रेमा राय
साहित्यकार सत्कार: आपके द्वार में साहित्य रत्न सम्मान से किया गया सम्मानित

प्रयागराज :साहित्य हमें सदैव जागरूक बनाता है और वह निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। साहित्य एक सच्चे मार्ग दर्शक के रूप में हमें सत्य की राह दिखाता है।* उपरोक्त उद्गार वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती प्रेमा राय ने उस समय व्यक्त किए जब वह साहित्यांजलि प्रकाशन प्रयागराज द्वारा आयोजित साहित्यकार सत्कार: आपके द्वार सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में साहित्यकारों को सम्बोधित कर रही थीं |
उन्होंने कहा कि साहित्य में यदि हमारी संवेदना के शब्द समाज को सार्थक संदेश देते हैं तो वह सृजन कल्याणकारी होता है ।
प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ राम लखन चौरसिया वागीश की अध्यक्षता में आयोजित इस समारोह में मुख्य अतिथि सहित उपस्थित साहित्यकारों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया और दीप जलाकर वंदना की। शंभूनाथ श्रीवास्तव द्वारा वाचिक वंदना के पश्चात समारोह का संचालन कर रहे साहित्यांजलि प्रकाशन प्रयागराज के व्यवस्थापक डॉ भगवान प्रसाद उपाध्याय ने सभी का अभिनंदन किया और सम्मान योजना के बारे में विस्तार से बताया। वरिष्ठ साहित्यकारों में रंजन पाण्डेय , पं० राकेश मालवीय मुस्कान , मुरारी मोहन राय , के मंगल वक्तव्य के बाद श्रीमती प्रेमा राय को साहित्यांजलि प्रकाशन प्रयागराज द्वारा साहित्य रत्न सम्मान से अलंकृत किया गया। सम्मान पत्र के साथ अंगवस्त्र प्रतीक चिन्ह और पुष्प गुच्छ भेंट करते हुए सभी साहित्यकार भाव विह्वल हो उठे। श्रीमती प्रेमा राय ने इस सम्मान को अविस्मरणीय बताया तो अध्यक्ष डॉ राम लखन चौरसिया वागीश ने इस अलंकरण अभियान को एक वर्ष पूरा होने पर संस्था को बधाई दी और कहा कि अब इसे आंचलिक क्षेत्र में भी विस्तार किया जाएगा। डॉ चौरसिया ने कहा कि साहित्य में इस तरह की अनूठी पहल का श्रीगणेश प्रयागराज से हुआ है तो यह पूरे देश में एक मील का पत्थर साबित होगा। शंभूनाथ श्रीवास्तव , राकेश मालवीय मुस्कान , रंजन पाण्डेय तथा श्रीमती प्रेमा राय ने अपनी सुमधुर कविताएं भी प्रस्तुत किया। सभी को धन्यवाद और आभार जताया डॉ भगवान प्रसाद उपाध्याय ने । सुस्वादु स्वल्पाहार से समारोह को सम्पूर्णता प्रदान की गई।