ज्ञापन दिवस :जिलाधिकारी का एक बड़ा काम सरकारों तक अपनी बात पहुंचाने के इच्छुक लोगों/संगठनों के ज्ञापन स्वीकारना भी है
राजेश बैरागी (स्वतंत्र पत्रकार व लेखक)
एक जिलाधिकारी के कार्यक्षेत्र में क्या क्या शामिल होता है? राज्य और केंद्र सरकार के अधिकृत प्रतिनिधि के तौर पर नियुक्त होने वाले जिलाधिकारी का एक बड़ा काम सरकारों तक अपनी बात पहुंचाने के इच्छुक लोगों/संगठनों के ज्ञापन स्वीकारना भी है। गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा आज दिनभर जनता दर्शन और राजकाज के बीच यही कर रहे थे।आरक्षण में वर्गीकरण या कोटे में कोटा लागू करने के विरोध में झंडा डंडा लेकर निकले राजनीतिक दलों और जाति आधारित संगठनों का भारत बंद के तहत आखिरी मुकाम जिलाधिकारी कार्यालय ही था। कलेक्ट्रेट पर किसी भी संभावित झगड़े झंझट से निपटने के लिए कमिश्नरेट पुलिस की चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था थी। स्वयं संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) शिवहरि मीणा ने मोर्चा संभाल रखा था। यह देखना बेहद दिलचस्प था कि एक ही मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन करने वाले राजनीतिक दलों और दूसरे संगठनों ने एकजुट होकर कुछ नहीं किया।सब अपने अपने झंडे और समर्थकों के साथ अलग-अलग टोलियों में आ रहे थे। एक सहायक पुलिस आयुक्त स्तर का अधिकारी (विवेक रंजन राय) जैसे ही कोई टोली आती, वैसे ही जिलाधिकारी को बुलाने आ जाता। आरक्षण के मुद्दे पर आंदोलन करने वाले राजनीतिक दलों को सबसे बड़ी खुशी यह थी कि उनसे स्वयं जिलाधिकारी ज्ञापन ग्रहण कर रहे थे। प्रत्येक टोली के शीर्ष नेता इस अवसर का लाभ उठाकर जिलाधिकारी को ज्ञापन देते हुए एक दो फोटो भी खिंचवा लेते थे। अपने समर्थकों के बीच धाक जमाने में ऐसे फोटो बड़ा काम आते हैं। ज्ञापन लेने के इस कार्यक्रम के बीच जिलाधिकारी उनसे मिलने आने वाले फरियादियों के मामले भी सुन रहे थे। कोई नौकरी तो कोई बच्चे का स्कूल में एडमिशन के अलावा गंभीर रोग से ग्रस्त किसी व्यक्ति के ईलाज के लिए सरकारी सहायता जैसी समस्या लेकर जिलाधिकारी के पास आने वाले लोगों की कोई कमी नहीं है। दरअसल अधिकारी अच्छा हो तो लोगों की अपेक्षाएं बढ़ जाती हैं। जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा के साथ भी कुछ ऐसा ही है। हालांकि वे अपने पास आने वाले किसी भी व्यक्ति को अपने स्तर से होने वाले कार्यों के लिए निराश नहीं करते।