नोएडा प्राधिकरण:कहां तक पहुंचा सेक्टर 145
राजेश बैरागी(स्वतंत्र पत्रकार व लेखक)
आठ वर्ष कितनी लंबी अवधि होती है? नोएडा ग्रेटर नोएडा जैसे प्राधिकरणों में आधी अधूरी तैयारी के साथ लाई गई परियोजनाओं के आवंटियों को फ्लैट और भूखंड का झुनझुना पकड़ा कर भूल जाना आम बात है। नोएडा का सेक्टर 145 एक ऐसी ही परियोजना है।2016 में विशुद्ध रूप से किसानों के लिए बनाए गए इस सेक्टर को अभी भी विकसित होने की दरकार है। इस सेक्टर में भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को नियमानुसार पांच प्रतिशत आबादी आवासीय भूखण्ड दिए गए हैं। लगभग एक दर्जन गांवों के साढ़े बाइस सौ किसानों की पांच प्रतिशत आबादी आवासीय भूखण्ड देने की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने के लिए कागज पर बनाए गए इस सेक्टर की अधिकांश भूमि अभी तक किसानों के अधिकार में है।वे यहां काबिज हैं और खेती कर रहे हैं।कम मुआवजे के विरोध में उन्होंने अदालत की शरण ली हुई है। प्राधिकरण भौतिक रूप से इस भूमि पर कब्जा नहीं ले सका है परंतु उसके परियोजना और नियोजन विभागों ने आवंटियों को कागज पर कब्जा दे दिया है।जब कब्जा दे दिया है तो निस्संदेह इस सेक्टर में आवंटित भूखंडों की लीज डीड भी हो गई होगी। जी हां, प्राधिकरण ने सभी आवंटित भूखंडों की लीज डीड भी आवंटियों के पक्ष में कर रखी है, उन्हें कागज पर कब्जा भी दे रखा है और आवंटी सड़क से प्राधिकरण तक मौके पर भूखंड की मांग करते हुए धक्के खा रहे हैं।समझ में न आने वाली बात यह है कि जब प्राधिकरण के पास भूमि का भौतिक कब्जा ही नहीं था तो उसने सेक्टर की रचना किस आधार पर की होगी। प्रश्न तो यह भी है कि बिना विकास किए लीज प्लान कैसे तैयार हो गये जिसके अभाव में लीज डीड होना संभव नहीं है। यदि यह सब आश्चर्य न हों तो नोएडा प्राधिकरण की पहचान क्या रह जाएगी।इन आठ वर्षों में न जाने कितने अधिकारी आए और गए, सेक्टर 145 के सूरत-ए-हाल में कोई अंतर नहीं आया। इस सेक्टर के अधिकांश आवंटी अपने भूखंडों को कागज पर ही बेचकर निकल लिए हैं। भूखंड खरीदने वाले सैकड़ों लोग कल रविवार को सेक्टर के लिए चिन्हित भूमि पर खड़े होकर धरना और प्रदर्शन कर प्राधिकरण और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से अपने लिए न्याय की गुहार लगाएंगे,