दनकौर

बगैर अनुमति पुरातत्व विभाग की संरक्षित जमीन में किया जा रहा निर्माण कार्य रोका, नोटिस जारी 

पुरातत्व विभाग क्या कानूनी कार्रवाई कर पाएगा या फिर सुविधा शुल्क लेकर दवा देगा मामले को

क्षेत्रीय विधायक निधि से कराया जा रहा है निर्माण

दनकौर : कस्बा स्थित ऐतिहासिक श्री गुरु द्रोणाचार्य मंदिर व परिसर पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है। उक्त स्थान पर पुरातत्व विभाग से अनुमति लिये बगैर किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य नही कराया जा सकता है। आरोप है कि मंदिर कमेटी द्वारा विभाग से अनुमति लिये बगैर उक्त स्थान पर विधायक निधि से टीन शेड लगाने के रूप में निर्माण कार्य कराया जा रहा है। सूचना के बाद विभाग से जुड़े अधिकारी मौके पर पहुंचे और वहां हो रहे अवैध निर्माण को रोका गया। साथ ही कानून का पाठ पढ़ाते हुए कारण बताओ नोटिस चस्पा किया गया। अधिकारियों का कहना है कि नियमों का उलंघन करने पर संबंधित कमेटी के विरुद्ध अग्रिम विधिक कार्रवाई की जायेगी।

दरअसल, दनकौर कस्बे में ऐतिहासिक श्री गुरु द्रोणाचार्य मंदिर स्थित है। उक्त मंदिर के परिसर में 100 से अधिक वर्षों से प्रत्येक वर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मेला का आयोजन होता आ रहा है। उक्त स्थान पर जल्द ही मेला भी लगने वाला है जिसको लेकर कमेटी द्वारा तैयारियां तेज कर दी गई हैं। इसी क्रम में करीब तीन दिन से मेला कमिटी द्वारा पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित पक्का कुंड और नाट्य स्थल पर टीन शेड लगाया जा रहा है। मंगलवार को मामले की जानकारी पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को होने पर वह मौके पर पहुंच गये। इस दौरान वहां हो रहे अवैध निर्माण कार्य को रुकवा दिया गया साथ ही चेतावनी देते हुए नोटिस भी चस्पा कर दिया गया। पुरातत्व विभाग के अधिकारी पिंटू कुमार का कहना है कि संरक्षित स्थान पर बगैर अनुमति निर्माण कर बदलाव करना दंडनीय अपराध है। मेला कमिटी द्वारा कराये जा रहे अवैध निर्माण कार्य की जानकारी मिलने पर मौके पर पहुंचा गया है। नोटिस चस्पा कर सात दिन के भीतर स्पस्टीकरण की चेतावनी दी गई है। इसके बाद उचित कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जायेगी।

बताया जाता है  कि आज से 100 वर्ष पूर्व जब श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर मेले की शुरुआत हुई उस समय प्रांगण में काफी खुली जगह थी तालाब पक्का कुंड के चारों तरफ भी बाउंड्री नहीं थी परंतु  समय-समय पर धीरे-धीरे मेला स्थल( श्री गुरु द्रोणाचार्य मंदिर प्रांगण )पर स्थाई व अस्थाई अतिक्रमण बढ़ता चला गया आज स्थिति यह उत्पन्न हो गई है की कायदे में मेला लगाने के लिए उचित स्थान नहीं है, यदि मेले में आने वाली भीड़ का थोड़ा भी दवाव बनता है तो कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है जिसे रोकने के लिए मेला कमेटी व प्रशासन के पास कोई समुचित व्यवस्था नहीं है,

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