तो ऐसे लगेगा भृष्टाचार और भृष्टाचारियों पर अंकुश?
नगर पंचायत औरंगाबाद में अजब कारनामा ,लाखों के गबन और फाइल चोरी के नामजद आरोपी बाबू को बना दिया सर्वेसर्वा

औरंगाबाद (बुलंदशहर )नगर पंचायत औरंगाबाद में भृष्टाचार और भृष्टाचारियों को खुला संरक्षण देते हुए एक काला कारनामा प्रकाश में आया है। जिस लिपिक के खिलाफ छः लाख रुपए से अधिक रकम के गबन, सरकारी निर्माण कार्यों की महत्वपूर्ण पैंतीस फाइलें, कैश बुक, बिलबुक ,चौदह रसीद बुक, मेजरमेंट बुक, चैक रजिस्टर, भुगतान के बिल बाउचरों को निजी हितों और नगर पंचायत को भारी नुकसान पहुंचाये जाने की गरज से गायब कर देने के आरोप में औरंगाबाद थाने में तत्कालीन अधिशासी अधिकारी ने एफआईआर दर्ज कराई थी और वर्तमान में मामला न्यायालय में चलते रहने के बाबजूद तमाम नियम कायदों और कानून को ताक पर रखकर निर्माण कार्यों, तमाम खरीद और महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करने कराने की जिम्मेदारी सौंप कर और अधिक भृष्टाचार करने फाइल और रकम को ठिकाने लगाने की खुली छूट दे दी गई है।
भले ही योगी सरकार भृष्टाचार और भृष्टाचारियों पर जीरो टॉलरेंस की नीति बनाने और उसपर कड़ाई से पालन कराने का ढिंढोरा पीटने में लगी हुई हो हकीकत इसके विपरीत ही नजर आ रही है। ऐसा आभास उस समय हुआ जब भृष्टाचार और भृष्टाचारियों पर अंकुश लगाना तो दूर नामजद आरोपी बाबू को ही नगर पंचायत औरंगाबाद में तमाम सहकर्मियों की कार्यकुशलता को दरकिनार करते हुए प्रत्येक महत्वपूर्ण विभाग का सर्वेसर्वा बना दिया गया।
नगर पंचायत औरंगाबाद में कुछ वर्षों पूर्व एक घपला,गबन, फाइल चोरी और सरकारी योजनाओं में गड़बड़झाला का प्रकाश में आया। तत्कालीन अधिशासी अधिकारी मुख्त्तयार सिंह ने आरोपी लिपिक नेमपाल सिंह को कार्यालय पत्रांक 937 दिनांक 28.08.20 द्वारा निलंबित कर औरंगाबाद थाने में दिनांक 1 सितंबर 2020 को धारा 409एवं धारा 427 के अंतर्गत एफ आई आर संख्या 397 दर्ज कराई थी। दर्ज कराई गई एफआईआर में लिपिक नेमपाल सिंह पुत्र कृपाल सिंह निवासी मौहल्ला अजीजाबाद कस्बा औरंगाबाद के खिलाफ वर्ष 2017-18,2018-19,2019-20 की तमाम पत्रावलियां गायब करने महत्वपूर्ण दस्तावेजों को खुर्द-बुर्द करने का अभियोग पंजीकृत कराया था। इसके पश्चात तत्कालीन अधिशासी अधिकारी ने अपने पत्रांक 990 दिनांक 28.11.20 द्वारा विभागीय जांच हेतु योगपाल सिंह अतिरिक्त कार्यभार लिपिक नगर पंचायत औरंगाबाद मूल तैनाती नगर पंचायत खानपुर को जांच अधिकारी नियुक्त किया और आरोप पत्र जारी कर सात दिन में अपना स्पष्टीकरण जांच अधिकारी को सौंपने के निर्देश दिए।
दिये गये आरोप पत्र में नगर पंचायत औरंगाबाद की 14 रसीद बुक गायब करने, निर्माण कार्यों की पैंतीस महत्वपूर्ण पत्रावलियों को ग़ायब करने, मेजरमेंट बुक नं 4एल,कैश बुक भुगतान संबंधी बिल बाउचर चैक रजिस्टर अपने निजी स्वार्थ एवं नाजायज लाभ और नगर पंचायत औरंगाबाद को हानि पहुंचाने की नीयत से गायब कर देने के संगीन आरोप लगाते हुए नगर पंचायत की रसीद बुकों से प्राप्त छः लाख दस हजार पांच सौ इक्यासी रुपए गबन कर लेने का अत्यंत गंभीर आरोप भी लगाया गया था।
जांच अधिकारी योगपाल सिंह का कहना है कि उन्होने आरोपी लिपिक नेमपाल सिंह को नियमानुसार तीन बार नोटिस जारी किए गए लेकिन आरोपी लिपिक ने कोई जवाब नहीं दिया और ना ही जांच में सहयोग किया। जिसकी लिखित सूचना मैंने अधिशासी अधिकारी को सौंप दी।
इतने गंभीर आरोपों के बाबजूद वर्तमान स्थिति यह है कि उक्त आरोपी लिपिक नगर पंचायत औरंगाबाद के तमाम महत्वपूर्ण विभागों, निमार्ण कार्यों, तमाम खरीद, तमाम नगर पंचायत की जमीन ,ठेके,आदि का सर्वेसर्वा बना हुआ है।
वर्तमान अधिशासी अधिकारी सेवा राम राजभर से उनका पक्ष जानना चाहा तो फोन पर उन्होने बताया कि नेमपाल सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने की कोई जानकारी नहीं है। मेरे कार्यकाल से पहले से ही वह विभिन्न विभागों को देख रहा है।
देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में वो क्या गुल खिलायेगा। भृष्टाचार का सीधा फंडा रिश्वत लेते पकड़े जाओ, रिश्वत देकर छूट जाओ।
रिपोर्टर राजेंद्र अग्रवाल