गलगोटिया विश्वविद्यालय में अध्यात्मिक गुरू दाजी ने किया भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र का उद्घाटन

ग्रेटर नोएडा:भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र का उद्घाटन मुख्य अतिथि विश्व विख्यात अध्यात्मिक गुरू श्री कमलेश डी पटेल (दाजी) ने गलगोटिया विश्वविद्यालय में एआइडीएस ब्लॉक की लाइब्रेरी में किया। कार्यक्रम में दाजी ने अपने संवाद की शुरुआत प्राचीन भारतीय ग्रंथों जैसे वेद, उपनिषद, पुराण आदि के बारे में जानकारी देने के साथ की। उन्होंने बताया कि आत्मा के बारे में भगवद्गीता के अध्याय दो के दसवें छंद में लिखा गया है। इसमें जीवन में उत्पत्ति और मरण के महत्व को छोटे बच्चे का उदाहरण देकर समझाया गया है। संवाद को आगे बढ़ाते हुए दाजी ने बताया कि किस तरीके से चेतना और अवचेतना हमारे विचारों को प्रभावित करती है? हम चेतना का दायरा सही आध्यात्मिक क्रियाओं से बढ़ा सकते हैं। अगर अपने जीवन में बदलाव करना है तो हमें अपनी चेतना में बदलाव करना होगा.
इस दौरान उन्होंने इतिहास के तमाम बड़े वैज्ञानिकों और आविष्कारों का उदाहरण दिया। यह भी बताया कि किस तरह इनमें ध्यान और शांत माहौल का बड़ा हाथ रहा है। जैसे आइंस्टाइन की थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी, मेंडलेव का पीरियाडिक टेबल या बेंज्जिन की खोज।
कैसे बढ़ाएं चेतना का दायरा
अपने स्वागत भाषण में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री सुनील गलगोटिया ने ध्यान के महत्व को रेखांकित करते हुये अध्यात्म और विज्ञान दोनों को साथ चलने की बात कही. इसके साथ ही उन्होंने स्वामी विवेकानंद की चेतना के विचार के बारे में विस्तार पूर्वक बताया।
विश्वास से बड़ा है अनुभव
मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा ध्रुव गलगोटिया ने दाजी के समाज को बदलने की मुहिम की तारीफ की उन्होने छात्रों का आवाहन किया कि जीवन मूल्य और विकास के लिये ध्यान और क्रिटिकल थिंकिग का उपयोग किया जाना चाहिये। मानसिक स्वास्थ्य और व्यक्तित्व निर्माण को ध्यान से हासिल किया जा सकता है।
दाजी ने बताया कि बच्चे के पैदा होते वक्त उसकी मां की मानसिक अवस्था कैसे बच्चे पर प्रभाव डालती है? अगर मां तनाव लेती है तो बच्चा कम दिमाग़ वाला पैदा होगा। ये वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है। उन्होंने उपस्थित सभी छात्रों को डॉक्टर लिप्टन द्वारा लिखी गई किताब द बायोलॉजी ऑफ़ बिलीफ़ को पढ़ने की सलाह दी। इसके बाद 20 मिनट का ध्यान करवाया गया। इस दौरान दाजी ने छात्रों के सवालों के जवाब भी दिए। हम किस तरह पश्चिमी दर्शन को भारतीय दर्शन से अलग कर सकते हैं? इसका जवाब देते हुए दाजी ने बताया कि हम अपने विचारों से यह कर सकते हैं और विचार सृजन के भी हो सकते हैं और विध्वंस के भी। ये हम पर है कि हम कौन सा रास्ता चुनते हैं?
मुख्य अतिथि कमलेश डी पटेल (दाजी) की उपस्थिति में कार्यक्रम की शुरुआत हर्टफ़ुल कैंपस ऐप टीम ने प्रशिक्षित छात्रों की स्किल दिखा कर की। इसके बाद छात्रों ने आंखों पर पट्टी बांधकर सेंसरी स्किल का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में दाजी का स्वागत विश्वविद्यालय के चांसलर सुनील गलगोटिया और सीईओ डा ध्रुव गलगोटिया ने किया।