ग्रेटर नोएडा

जिस्म ग्रेटर नोएडा:छः वर्ष में फर्श से अर्श तक

राजेश बैरागी(स्वतंत्र पत्रकार व लेखक)

समय के साथ सब बड़े होते ही हैं। जानवर, मनुष्य और संस्थान।2008 में कासना ग्रेटर नोएडा में तत्कालीन मुख्यमंत्री सुश्री मायावती ने जिस राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान की नींव रखी थी, वह आज चिकित्सा और चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में एक श्रेष्ठ संस्थान के तौर पर स्थापित हो चुका है। यहां वह सबकुछ है जो देश के किसी भी मेडिकल कॉलेज और चिकित्सालयों में है और होना चाहिए। सेना में 31 वर्ष सेवा देने के पश्चात जिम्स के निदेशक बनकर 2018 में यहां आए ब्रिगेडियर डॉ राकेश कुमार गुप्ता के समक्ष अनेक चुनौतियां थीं। मेडिकल कॉलेज के लिए आवंटित 56 एकड़ भूमि को गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय से लेना सरल नहीं था। मेडिकल कॉलेज से संबद्ध चिकित्सालय में चिकित्सकों, चिकित्सा के उपकरणों, चिकित्सा विभागों और रोगियों, सभी का अभाव था।लोग यहां संसाधनों के अभाव में इलाज कराने को ही तैयार नहीं थे। ब्रिगेडियर आर के गुप्ता को पूना में सेना का हॉस्पिटल बनाने और चलाने का अनुभव था जो यहां काम आया।57 वर्षीय इस युवा ब्रिगेडियर डॉक्टर ने अपनी कुशलता, अनुभव और परिश्रम से छः वर्षों में इस संस्थान को न केवल विभिन्न प्रकार की (एनएबीएच,एनएबीएल आदि) मान्यताओं से सुसज्जित कराया बल्कि कुछ क्षेत्रों में दिल्ली एनसीआर समेत देश के अनेक चिकित्सा शिक्षा एवं चिकित्सा संस्थान के तौर पर प्रथम स्थान पर खड़ा कर दिया। वर्तमान में यहां पांच सौ छात्र एमबीबीएस की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। पैरामेडिकल, नर्सिंग आदि के सैकड़ों छात्रों को चिकित्सा सेवा के लिए तैयार किया जा रहा है।जिम्स में प्रतिदिन आने वाले रोगियों की संख्या डेढ़ से दो हजार के बीच रहती है। इनमें से बामुश्किल किसी रोगी को अन्य उच्च चिकित्सा केंद्र के लिए रेफर किया जाता है। तीन सौ बेड से शुरू हुए इस अस्पताल में अब बेडों की संख्या 630 हो चुकी है जबकि 700 बेड के भवन के निर्माण की तैयारी चल रही हैं।कोविड काल में पांच हजार कोरोना रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज करने पर जिम्स ने उत्तर प्रदेश समेत देश के 67 चिकित्सा संस्थानों में प्रथम स्थान प्राप्त किया था।रोगियों के तीमारदारों के ठहरने के लिए एक पांच मंजिला भवन भी बनाए जाने की योजना बन चुकी है।एम आर आई,सीटी स्कैन, एक्स-रे, पैथोलॉजी, ब्लड बैंक सबकुछ यहां है और सस्ता सुलभ है। यह चिकित्सा संस्थान (जिम्स) ईसीएचएस और सीजीएचएस से आच्छादित रोगियों का उधार निःशुल्क इलाज करता है। अपने संस्थान से पैसा मिलने पर रोगी द्वारा भुगतान किया जाता है।इसी प्रकार निर्धन लोगों को भी निशुल्क इलाज दिया जाता है। किसी भी रोगी को धन के अभाव में वापस न भेजने को कृतसंकल्प यह संस्थान आत्मनिर्भर बनने की राह पर चल पड़ा है। शुरुआत में एक करोड़ से भी कम आय करने वाले जिम्स ने 2023-24 वित्तीय वर्ष में 38 करोड़ रुपए आय प्राप्त की है। राज्य सरकार इसे सालाना मात्र 32 करोड़ रुपए अनुदान देती है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी एन जी रवि कुमार की पहल पर पिछले दिनों सीएसआर फंड से 40 लाख रुपए प्राप्त हुए जबकि विधान परिषद सदस्य नरेंद्र भाटी ने अपने विधायक फंड से तीस लाख रुपए दिए हैं। छः वर्ष की इन उपलब्धियों के साथ संस्थान को ऊंचाइयों पर ले जाने वाले ब्रिगेडियर डॉ राकेश कुमार गुप्ता का कार्यकाल आगामी 20 जुलाई को समाप्त हो रहा है,

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