साहित्य जगत

अभिनव संस्था के स्थापना दिवस पर कलात्मक संगोष्ठी सपन्न

अभिनव सांस्कृतिक संस्था ने पूरे किए सांस्कृतिक कार्यक्रमों से भरपूर गौरवशाली 45 वर्ष

रंगकर्म (नाट्य-कला) अद्भुत भाव संप्रेषण की सबसे प्राचीन ललित कला है- मुख्य अतिथि रवीन्द्र कुशवाहा

प्रयागराज: इस वर्ष 2025 में सांस्कृतिक संस्था अभिनव प्रयागराज ने अपने संस्थापना दिवस एक जनवरी को आज 45 वर्ष पूर्ण करते हुए पहले की स्मृति परम्परा को पुनर्स्थापित करते , संस्था के यश समृद्धि के लिए, विधिवत पूजा यज्ञ हवन एवं कलात्मक संगोष्ठी कार्यक्रम अपने कार्यालय काला डांडा हिम्मतगंज के प्रेक्षा दीर्घा में सम्पादित किया।

इस पावन अवसर पर एक रंग गोष्ठी “रंगकर्म में ललित कलाओं की उपयोगिता” की सफल गोष्ठी अंतरराष्ट्रीय ख्यातिलब्ध कवि-चित्रकार रवीन्द्र कुशवाहा के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुई । सर्वप्रथम मुख्य अतिथि रवीन्द्र कुशवाहा का माल्यार्पण अंग वस्त्र स्मृति चिन्ह से संस्था अध्यक्ष शैलेश श्रीवास्तव द्वारा सम्मानित किया गया। 45वें साल से 46वें साल में प्रवेश करते हुए..”अभिनव, प्रयागराज ” के संस्थापना दिवस के अवसर पर “रंगकर्म में ललित कलाओं की उपयोगिता” संगोष्ठी पर अपने विचार व्यक्त करते हुए मुख्य अतिथि रवीन्द्र कुशवाहा कहां कि रंगकर्म (नाट्य-कला) ही अद्भुत भाव संप्रेषण की सबसे प्राचीन ललित कला है इसमें अन्य ललित कलाओं का सामंजस्य पूर्ण सदुपयोग ही‌ इसको सबसे ज्यादा प्रभावशाली बनाता है एवं प्रसिद्ध वरिष्ठ रंगअभिनेत्री प्रतिमा श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में कहा कि रंगकर्मी अपने नाटकों में अनेको रंगो का, संगीत का प्रयोग तो करते हैं पर बहुधा वो इसके आनुपातिक प्रयोग को भूल जाते हैं और इसकी वजह से अच्छे से अच्छे नाटक का कचरा वह खुद कर लेते हैं ।

वरिष्ठ बांग्ला-हिन्दी नाटको की रंग अभिनेत्री सुजाता सिन्हा ने कहा कि बांग्ला रंगमंच में ललित कलाओं का शत-प्रतिशत सदुपयोग होता रहा है जबकि हिंदी रंगमंच में अक्सर इसका समझदारी से ललित कलाओं का उपयोग कई बार कम देखा गया है। जिन हिंदी रंगमंच में ललित कलाओं का समझदारी से हुआ उन्हे पूर्णतः समृद्ध पाया और ऐसे हिन्दी नाटको की सफलता को मैने स्वयं अनुभव किया है। संस्था के प्रथम सचिव तथा वरिष्ठ रंग अभिनेता श्री प्रमिल अस्थाना जी ने संस्था के पहले नाटक से अब तक के नाटकों के तुलनात्मक प्रगति पर हर्ष व्यक्त किया। वरिष्ठ रंग अभिनेता प्रदीप कुमार ने अपने रंग निर्देशक अवधेश चन्द्रा के साथ के अपने रंगानुभव साझा किया। वरिष्ठ अभिनेता आशीष सिन्हा ने रंगकर्म मे प्रयोग होने वाली कला संसाधनो की वित्तीय स्धितियों पर प्रकाश डाला। युवा रंग अभिनेत्री शादामा खातून, शुभा अस्थाना इत्यादि ने अपने सारगर्भित विचार रखे। अंत में संस्था सचिव अमरेश श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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