इस्लाम में पैगम्बर पूजनीय तो सनातन में राणा सांगा क्यों नहीं – दिव्य अग्रवाल

इतिहास पढ़ना और पढ़ाना आज के आधुनिक युग में कोई मुश्किल कार्य नहीं है सब पढ़ सकते हैं उसके पश्चात भी अनर्गल और अपमानजनक वक्तव्य देना किसी षड्यंत्र का ही हिस्सा हो सकता है। अभी कुछ समय पूर्व नूपुर शर्मा ने एक समाचार में इस्लामिक विषय पर चर्चा करते हुए किसी प्रश्न का उत्तर दिया जो की इस्लामिक पुस्तकों के सन्दर्भ से ही कहा गया पर कटटरपंथियों ने सर तन से जुदा आदि के नारे लगाते हुए पुरे देश का माहौल खराब कर दिया लेकिन उस पर स्वयंभू बुद्धिजीवियों और सेक्युलर राजनेताओं ने इस्लामिक समाज की तनिक भी गलती नहीं बताई उल्टा नूपुर शर्मा को ही सुझाव दे दिया की उन्हें ऐसे नहीं कहना चाहिए था । यह समझ नहीं आ रहा की क्या वह सेक्युलर बुद्धिजीवी इसी लोक में हैं या परलोक में हैं जिन्हे राष्ट्र और सनातन धर्म के अनुयायियों की रक्षा करने वाले राणा सांगा पर की गयी आपत्तिजनक टिपणी नहीं सुनाई पड़ रही या वो बुद्धिजीवी भी इस षड्यंत्र में शामिल हैं की पूर्वजो के पुरुषार्थ को उनकी जातियों में बांटकर हिन्दुओ को कमजोर कर दो। यदि इस्लाम में पैगंबर सम्माननीय हैं तो सनातन में महाराणा सांगा ,महाराणा प्रताप,छत्रपति शिवाजी महाराज,शंभू राजे,वीर सावरकर जैसे वो सभी सनातन प्रहरी और योद्धा पूजनीय हैं जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन सनातन ध्वज के नीचे आहूत कर दिया ।
रही बात जातियों में विभाजित करने की तो इस राष्ट्र में महाराणा प्रताप थे तो उनके परम मित्र भामाशाह भी थे ऐसे अनेको संघर्ष हैं जो सनातनी ध्वज की छाया में किए गए जिनमे कोई जातिगत भेद नहीं था, सब सनातनी थे । आज पुन्हा समय आव्हान कर रहा है जात पात की करो विदाई हिन्दू हिन्दू भाई भाई।