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वृद्धजनों की सेवा के लिये गलगोटियास विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएँ दनकौर कस्बे के “वृद्धाश्रम” पहुँचे

ग्रेटर नोएडा:इस अवसर पर गलगोटियास विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री सुनील गलगोटिया ने कहा कि हमारे शास्त्रों में “संस्कृत भाषा” में एक बहुत ही सुप्रसिद्ध लोकोक्ति है उसमें कहा गया है किः-

“अभिवादनशीलस्य, नित्यं वृद्धोपसेविनः। 

चत्वारि तस्य वर्धन्ते, आयुर्विद्या यशो बलम्”

जिसका हिंदी में अर्थ है कि जो व्यक्ति सुशील और विनम्र होते हैं, जो बड़ों का अभिवादन,सम्मान व सत्कार करने वाले होते हैं। तथा अपने बडों की अपने बुजुर्गों की सेवा करने वाले होते हैं। उन व्यक्तियों की आयु, विद्या, कीर्ति और बल इन चारों में सदैव वृद्धि होती है।और वो अपने जीवन में सदैव उन्नति की ओर अग्रसर होते हैं।

यही हम सबके जीवन का एक कटु सत्य है

उन्होंने आगे कहा कि इस प्रकार की श्रेष्ठ और महान विचार धारा का सम्मान करते हुए और अपने राष्ट्र की महान संस्कृति की महान विधाओं का अवलंबन करते हुए हमारा गलगोटिया विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों के चहुँ-मुखी विकास के लिये सदैव कृत संकल्पित है।

इन सभी नेक बातों का विशेष ध्यान रखते हुए इसी कडी में वृद्धजनों की सेवा के लिये गलगोटियास विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समाजशास्त्र विषय के विद्यार्थियों ने ज़िला गौत्तम बुद्ध नगर के “दनकौर कस्बे” में स्थित “वृद्धाश्रम” की एक शैक्षिक यात्रा की है। और वृद्धाश्रम में जाकर वृद्धजनों और वृद्धमाताओं का शुभ आशीर्वाद प्राप्त किया। हमारे अन्तर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों ने भी वहाँ जाकर वृद्धजनों की सेवा सुश्रा की, अपने हाथों से उनको फल वितरित किये, उनके साथ मिलकर केक भी काटा और उपहार स्वरूप कुछ ज़रूरत की वस्तुएँ भी प्रदान की।

साँस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में विद्यार्थियों ने अनेक प्रकार के गीत सुनाये और वहीं पर अपनी शानदार प्रस्तुति देकर वृद्धजनों ने भी करूणा और प्रेम रस के लोकगीतों के माध्यम से वातावरण को बहुत ही भावुक बना दिया। पूरा दिन व्यतीत करने के बाद सभी विद्यार्थी उन वृद्धजनों का शुभ आशिर्वाद प्राप्त करके वापस विश्वविद्यालय लौट आये।

इस अवसर पर गलगोटियास विश्वविद्यालय के सीईओ डा० ध्रुव गलगोटिया ने विद्यार्थियों के इस नेक कार्य की सराहना करते हुए कहा कि बुज़ुर्ग सदस्यों की देखभाल करना हमारे सामाजिक मूल्यों और मानवता को दर्शाता है। गलगोटिया विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों को बुजुर्गों के प्रति सदैव संवेदनशील रहना सिखाता है। और इस प्रकार के अति महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन करके हमारा विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों को इस प्रकार के नेक कार्यों के लिये सदैव प्रेरित करता रहेगा जिससे हमारे देश की युवा पीढ़ी (हमारे विद्यार्थी) संवेदनशील होने के साथ-साथ एक नेक दिल इन्सान भी बने। अपने बडों का और अपने वृद्धजनों का सम्मान करते हुए अपने विश्वविद्यालय और अपने राष्ट्र का गौरव बढ़ायें। उन सभी को मेरी यही शुभकामनाएँ हैं,

 

 

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