महाकुंभ में शस्त्र शक्ति पर राजा भैया का प्रचंड उद्बोधन – दिव्य अग्रवाल

महाकुंभ :कुंडा विधायक और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के मुख्या राजा रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) ने प्रयागराज महाकुम्भ दिव्य प्रेम सेवा संस्थान द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उद्बोधन दिया उद्बोधन का एक एक शब्द अकाट्य सत्य। राजा भैया के उद्बोधन में दो बाते अति महत्वपूर्ण और विचारणीय हैं प्रथम संस्कृति की सुरक्षा शास्त्र से नहीं सिर्फ शस्त्र से ही सम्भव है। यदि संस्कृति शास्त्र से सुरक्षित हो पाती तो तक्षिला और नालंदा महाविद्यालय महीनों तक जलते नहीं रहते । वास्तव में यह बात अकाट्य और सम्पूर्ण सत्य है यदि शस्त्रों का उपयोग सनातनियों ने किया होता तो किसी विधर्मियो की ताकत नहीं थी जो सनातनी शास्त्र संग्रहालय को नष्ट कर पाते। दूसरी एवं सबसे महत्वपूर्ण बात हैदराबाद के नेता के उस बयान पर कही जिसमें कहा गया था की यदि १५ मिनट पुलिस हटा ली जाए तो हिन्दुओ को उनकी औकात बता दी जाएगी आज पहली बार किसी राजनेता ने इस बयान का सही विश्लेषण किया है राजा भैया ने उक्त बयान की वास्तविकता को महाकुम्भ से प्रत्येक सनातनी तक पहुंचाने का प्रयास किया है। राजा भैया का कहना है की उस बयान में गलत क्या है यदि वास्तव में सुरक्षा बल हठ जाए तो जिहादी मानसिकता वाले लोग एक झटके में हिन्दुओ की आधी आबादी पर प्रहार कर सकते हैं हिन्दुओ के पास अपनी आत्मरक्षा हेतु तो शस्त्र भी नहीं है तो वह अपनी और अपने परिवार की रक्षा कैसे कर पाएंगे । राजा भैया का यह कहना जिन प्रभु श्री राम को हम सब अपने मन में धारण करते हैं उनसे हमने क्या सीखा , प्रभु ने अपने वनवास समय में सब सुख सुविधाओं का त्याग किया पर शस्त्र को उसी प्रकार धारण किया जैसे कोई जीवात्मा किसी देह को धारण करती है उन्होंने इजराइल का भी उदाहरण देते हुए कहा की शस्त्र शक्ति के बल पर ही इजराइल न सिर्फ अपनी सुरक्षा अपितु अपने विद्रोहियों को भी समाप्त कर रहा है ।
वास्तव में मह्कुम्भ से इससे वृहद और सार्थक सन्देश सनातनी समाज के लिए कुछ नहीं हो सकता यदि अपनी सभ्यता अपनी संस्कृति अपने धर्म की रक्षा करनी है तो शस्त्र धारण तो करना ही होगा । राजा भैया ने अपने उद्बोधन के समापन में एक बात कही की यदि कुछ समझ में आया हो तो उसका पालन करना अन्यथा तोते की तरह उड़ा देना इन शब्दों में असहनीय पीड़ा थी जिसको वही व्यक्ति समझ सकता है जिसके अंतःकरण में सनातन हो। जिस बात को बड़े बड़े धर्माचार्य नहीं कह पाए वह बात राजा भैया ने पूरी मुखरता और स्पष्टत्ता के साथ प्रयागराज की धरती से कह दी निश्चित ही राजा भैया जैसे सनातनी ध्वजा वाहक अभिनन्दन और साधुवाद के पात्र हैं।