आस्था

ईश्वर में है आस्था तो हिन्दू धर्म में घर वापसी करें मुस्लिम समाज – दिव्य अग्रवाल (लेखक व विचारक)

ला इलाहा इल्लल्लाह मोहम्मद रसूलुल्लाह अर्थात अल्लाह के सिवाय कोई और ईश्वर नहीं है ,अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं यह इस्लामिक कलमा है जिसका पालन लगभग सभी मुस्लिम करते हैं। मुस्लिम समाज तो यहां तक मानता है की अल्लाह के अतिरिक्त किसी अन्य का नाम जुबान पर लाना तक हराम है। विगत कुछ समय से राष्ट्रीय राजमार्गों पर अनेको ऐसे ढाबे \ रेस्टोरेंट हैं जिनका संचालन तो मुस्लिम समाज के लोग कर रहे हैं और उनके नाम हिन्दू देवी देवताओं के नाम पर रखे गए हैं। अब यह इस्लामिक जानकारों के लिए बड़ा हास्यास्पद है की ऐसा करने वाले मुसलमानो के विरुद्ध अभी तक फतवे जारी नहीं हुए । इसका अर्थ स्पष्ट है की या तो इस्लामिक विचारो को अपनी सुविधा के अनुशार बदला भी जा सकता है या यह कोई सुनियोजित षड्यंत्र है जिसके अंतर्गत सनातन धर्म के अनुयायियों की भावनाओं को आहत किया जाना सुनिश्चित किया गया है। क्यूंकि कोरोना काल से लेकर आज तक भी अनेको वीडियो देखने को मिलती है जिनमें कोई खाने में थूक मिला रहा है तो कोई अपना मलमूत्र ही मिला देता है । यदि सुनियोजित षड्यंत्र नहीं है और मुस्लिम समाज के लोगों में हिन्दू देवी देवताओं के प्रति इतनी प्रबल आस्था और विश्वास है जो अपने व्यापारिक प्रतिष्ठानों का नाम हिन्दू देवी देवताओं या सनातन धर्म में प्रचलित नामों पर रखना चाहते हैं तो उचित यह होगा की वो अपनी आस्था को सार्वजनिक रूप से प्रकट करते हुए हिन्दू धर्म में घर वापसी करें,

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