विचार

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण:जल पर जोर नहीं

राजेश बैरागी( स्वतंत्र पत्रकार व लेखक)

क्या बहते हुए जल पर कुछ लिखा जा सकता है? परंतु ठहरे हुए जल पर बहुत कुछ लिखा जा सकता है।जब किसी को रास्ता नहीं मिलता है तो वह ठहर जाता है।जल की भी यही स्थिति है। सूरजपुर दादरी मेन रोड पर तिलपता गांव की सीमा में जल ठहर गया है।उसे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का भारी भरकम अभियांत्रिकी विभाग रास्ता दिखाने में नाकाम साबित हो रहा है।दो दिन पहले बारिश हुई थी।कल सोमवार सुबह अपने कार्यस्थल पर जाने को उतावले लोग तिलपता गांव की सीमा में पहुंचकर ठिठक जाते थे।मेन रोड पर रास्ता न मिलने से ठहरा हुआ पानी लोगों के लिए चुनौती पेश कर रहा था। मोटरसाइकिल पर सवार एक पुलिसकर्मी ने पानी से कपड़ों को गंदा होने से बचाने के लिए अपनी टांगें आगे की ओर सीधी कर दीं।मेरी उससे कहने की इच्छा हुई कि लाठी लेकर इस अनावश्यक ठहरे हुए पानी को फटकार क्यों नहीं देता है परंतु उसकी बेबसी पर मुझे तरस आ गया। पानी जाने वाले वाहनों के साथ जा रहा था और आने वाले वाहनों के साथ आ रहा था परंतु पहुंच कहीं नहीं रहा था। एक सरदारजी यातायात पुलिसकर्मी एक ऊंचे स्थान पर खड़े होकर पानी में किंकर्तव्यविमूढ़ खड़े वाहन चालकों को आगे बढ़ने का हौसला दे रहा था।जब कोई चार पहिया वाहन तेजी से निकल कर दो पहिया वाहन चालकों पर गंदा पानी उड़ाता था तो सारे दो पहिया वाहन चालक उसे समवेत स्वर में गाली देने लगते थे। मैंने वहीं खड़े होकर प्रभु यीशु से प्रार्थना की-हे प्रभु इन्हें क्षमा करना,ये नहीं जानते कि ये किसके पाप के लिए किसको गाली दे रहे हैं।’ कुछ दिनों पहले तिलपता गांव के जागरूक लोगों ने इस सूरजपुर दादरी मेन रोड पर धरना देकर इस जलभराव की ओर प्राधिकरण का ध्यान आकर्षित किया था। हालांकि उन्होंने अपने गांव के लोगों को नाली पटरी पर अतिक्रमण करने के लिए नहीं कोसा था।फिर मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बिना दिखावे के गोपनीय तरीके से इस रोड का मौका मुआयना किया था और संबंधित अभियांत्रिकी विभाग को आवश्यक आदेश दिए थे परन्तु जैसे एक जानवर की पूंछ सीधी नहीं होती है वैसे ही प्राधिकरण का अभियांत्रिकी विभाग भी समस्या को बनाए रखने के अपने मूल चरित्र को बदल नहीं पाता है। चलते चलते बता दूं कि कल मैं हल्दौनी मोड़ कुलेसरा से भी गुजरा था। वहां भी जल पुरजोर था। तालाब नुमा सड़क से निकलते हुए मेरी गाड़ी बामुश्किल पलटने से बची थी।

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