सामर्थ्य हीन समाजपर श्री कृष्ण प्रसन्न होंगे या क्रोधित – दिव्य अग्रवाल
महाभारत का ज्ञान सबको है पर समझ कितना आया या किस प्रकार आया यह विचारणीय है। श्री कृष्ण ने, महिला को निर्वस्त्र करने का प्रयास वाले और देखने वाले सभी को मृत्यु दंड दिलवाया। अपना हो या पराया सबके लिए यमलोक जाने का मार्ग प्रशस्त किया। आज उन्ही श्री कृष्ण के जन्मोत्सव पर हर्षोल्लास बनाने वाला समाज , पांच वर्ष की बेटी के साथ वीभत्स दुराचार होने पर भी मौन रहता है, चिंतित नहीं होता, पुरुषार्थ नहीं करता। जिन प्रभु श्री कृष्ण ने धर्म रक्षा हेतु सम्पूर्ण जीवन युद्ध किया और करवाया उनको कुछ कथावाचकों ने रसिक बनाकर हिन्दू समाज को भ्रमित किया। क्या लाभ उस सनातन में जन्म लेने का जब पूर्वजों के पुरुषार्थ का अनुकरण न हो, क्या लाभ श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को मनाने का जब भगवद गीता का पालन न हो। अकर्मण्य, लालची, निष्ठुर और संवेदनहीन समाज पर महान धर्मयोद्धा योगिराज महाराज जगद्गुरु भगवान श्री कृष्ण प्रसन्न हो सकते हैं क्या। आज जन्माष्टमी पर घर के मंदिरों में माजा, फ्रूटी, चॉकलेट आदि पूजी जा रही हैं पर जब श्री कृष्ण ने जन्म लिया था तभी से शस्त्र और सामर्थ्य धारण कर लिया था । आधुनिक युग के हिसाब से उत्सव अवश्य मनाओं पर जिसका उत्सव मना रहे हो उसके वास्तविक आचरण और ज्ञान का भी तो धारण करो । यदि विधर्मियो द्वारा अपनी बहन बेटी की दुर्गति करवाकर भी कोई समाज मौन है तो वह समाज जीवित रहकर भी मृत्यु को प्राप्त हो चुका है। उसको जीवनदान तो स्वयं श्री कृष्ण भी नहीं देंगे क्योंकि कायर और अधर्म सहने वालो का साथ वासुदेव ने कभी नहीं दिया ,